हिन्दी दिवस
हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा 14 सितंबर को डॉक्टर राजेंद्र सिंह जी की जन्म जयंती भी मनाई जाती है,जिन्होंने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का मान दिलाने की दिशा में अथक प्रयास किया था।हमने एक विशेष मॉर्निंग असेंबली द्वारा हिंदी दिवस मनाया था। हमने इस हिंदी दिवस की शुरुआत स्वागत गीत से की थी।
फिर हमारा हिंदी दिवस पर भाषण था।फिर हमने हिंदी दिवस पर नुक्कड़ नाटक किया।फिर हमने एक ऊर्जावान नृत्य प्रदर्शन किया।
इस दिन हमने हिंदी दिवस पर इतने सारे नारे साझा किए थे। जैसे:
हिंदी को सम्मान दो, अपने दिलो में स्थान दो।
हमारी भाषा कैसी हो, हिंदी भाषा जैसी हो।
हर भाषा का सम्मान करो, पर हिंदी से प्यार करो।
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा विविध संस्कृतियों वाला देश है। धर्म, परंपराओं और भाषा में इसकी विविधता के बावजूद यहां के लोग एकता में विश्वास रखते हैं। हिंदी भारत की सबसे प्रमुख भाषा है। दुनियाभर में हिंदी भाषा चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली, लिखी व पढ़ी जाती है। वर्ष 1949 में हिंदी को हमारे देश में सर्वोच्च दर्जा प्राप्त हुआ और तब से हिंदी को हमारी राष्ट्रभाषा माना जाता है। हिंदी महज भाषा नहीं बल्कि यह हमको रचती है..... आशुतोष जी की यह पंक्ति हिंदी भाषा पर सटीक बैठती है। हिंदी को मन की भाषा कहा जाता है, यह मन के बंद ताले को खोल सकती है। हमारी आत्मा और ज्ञान का पथ बोल सकती है। यह महज भाषा नहीं बल्कि भारतीयों को एकता के सूत्र में पिरोती है। यह दुनियाभर के भारतीयों को भावनात्मक रूप से एक साथ जोड़ने का काम करती है। हिंदी भाषा में सभी भावों को भरने की अद्भुत क्षमता है, यही कारण है कि हिंदी को भारत की जननी भाषा कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में हिंदी को मातृ भाषा का दर्जा दिया गया है। यह महज भाषा नहीं बल्कि भारतीयों को एकता व अखंडता के सूत्र में पिरोती है। हिंदी को मन की भाषा कहा जाता है, जो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, संसद से लेकर सड़कों तक और साहित्य से लेकर सिनेमा तक हर जगह संवाद का सबसे बड़ा पुल बनकर सामने आती है। हिंदी हमारे साहित्यकारों की संस्कृति थी। महात्मा गांधी ने भी एक बार कहा था कि, जिस प्रकार ब्रिटेन में अंग्रेजी बोली जाती है और सारे कामकाज अंग्रेजी में किए जाते हैं, ठीक उसी प्रकार हिंदी को हमारे देश में राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन आज भी हम हिंदी को राष्ट्भाषा का दर्जा नहीं दिलवा पाए। साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश के सामने एक राजभाषा के चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल था, क्योंकि भारत में हजारों भाषाएं और सैकड़ो बोलियां बोली जाती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर 1949 को हिंदी और इंग्लिश को राजभाषा के रूप में चुना गया। हालांकि इस पर जमकर विरोध हुआ। वहीं राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया। इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को हिंदी के महत्व व इतिहास के बारे में बताना है और अपनी मातृ भाषा के प्रति जागृत करना है। तथा हिंदी को ना केवल देश के हर क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रसारित करना है।
हमने यह हिंदी दिवस बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया था।
नाम- मंजिमा
कक्षा-10