दशहरा

08 Oct, 2022

अश्विन महीने के शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है। दशहरा को विजयदशमी के नाम से जाना जाता है। भगवान श्री राम ने 14 साल के वनवास के दौरान रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश दिया। दशहरा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है।

भारत में दशहरा का पर्व अलग अलग तरह से मनाया जाता है। एक तरफ जहां दशहरा पर रावण का पुतला जलाया जाता है, वहीं भारत के कई राज्यों में रावण की पूजा भी की जाती है। उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों में रामलीला का मंचन होता है । कहा जाता है कि विजयादशमी के दिन भगवान राम ने लंका नरेश अहंकारी रावण का वध किया था । रावण अत्याचारी और घमंडी राजा था । उसने राम की पत्नी सीता का छल से अपहरण कर लिया था । सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राम ने वानरराज सुग्रीव से मैत्री की । वे वानरी सेना के साथ समुद्र पार करके लंका गए और रावण पर चढाई कर दी । भयंकर युद्ध हुआ । इस युद्ध में मेघनाद, कुंभकर्ण, रावण आदि सभी वीर योद्धा मारे गए । राम ने अपने शरण आए रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया और पत्नी सीता को लेकर अयोध्या की ओर प्रस्थान किया । रामलीला में इन घटनाओं का विस्तृत दृश्य दिखाया जाता है । इसके द्वारा श्रीराम का मर्यादा पुरुषोत्तम रूप उजागर होता है । ला मांटेसरी विद्यालय कलेहली (हिमाचल के सबसे बड़े विद्यालय ) में हर साल की तरह इस साल भी दशहरे का पर्व  बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर नन्हें मुन्नों बच्चों ने रंग बिरंगे कपड़े पहन कर भगवान राम और रावण बनकर रामलीला का मंचन किया। हमारे विद्यालय की अध्यापिकाओं के योगदान के बिना ये कुछ संभव न हो पाता।हमारे विद्यालय में छोटे से ही बच्चो को अपनी संस्कृति से जुड़ी चीजों के बारे में जानकारी दी जाती है। इससे बच्चो का सर्वांगीण विकास होता है। इसके  बाद दशहरे पर एक कविता सुनाई गई जिसने सभी का मन मोह लिया. कविता मनुष्य को जीवन जीने की सही शिक्षा देती है। अच्छे संस्कार देती है।हमारे विद्यालय में दशहरे पर  या अन्य त्योहार पर कविताएं बहुत कम उम्र से ही बच्चों को सिखाई जाती हैं ताकि वो आसानी से हर त्योहार को समझ सके साथ ही सभी बच्चो को दशहरे के बारे में जानकारी दी गई और बताया गया की कैसे पुरुषोत्तम राम ने रावण का वध किया था. इसका लक्ष्य बच्चो के मन में अच्छाई और सच्चाई जगाने तथा अपने अंदर की सभी बुराइयों को त्यागना था

 इसके बाद कुछ विद्यार्थियों द्वारा दशहरे पर एक मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया। सभी बच्चो को वह देखने में बहुत प्रसन्नता मिली ।अंत में एक कुल्लवी लोकगीत के साथ इस समारोह का समापन हुआ.  लोकगीत मनुष्य के  स्वाभाविक भावो को प्रकट करता  है, बच्चों को दशहरे मनाने से खूब शिक्षा मिली और सभी ने सीखा कि सदा अच्छाई की राह पर ही चलना चाहिए क्योंकि सदा बुराई  पर अच्छाई की ही जीत होती है।

 

आदेशिका शर्मा 

कक्षा दसवीं