फोरलेन का कुल्लू घाटी के विकास में योगदान
विकास की कोई सीमा नहीं होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा,
कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नहीं है।
आजकल कई स्तरों पर दोहराया जा रहा है कि हम विकास कर रहे हैं। अगर हम अपने रोजमर्रा जीवन पर नजर डालें तो लगता है सचमुच हमारी सहूलियतें बढ़ गई हैं। निश्चय ही यह विकास का लक्षण है। लेकिन विकास के साथ एक बड़ी विचित्र बात यह हो रही है कि सकारात्मक के साथ-साथ नकारात्मक बातों का भी विकास हो रहा है। अब इसे भी हम अपने अनुभवों से आंकें। क्या पहले हम इतना अकेले, परेशान या भयग्रस्त थे ? दिक्कत यह है कि हम विकास को ठोस चीजों से ही आंकते हैं यानी रुपया-पैसा, सामान, सड़क, गाड़ी वगैरह। हमारे मन की चीजें चूंकि दिखती नहीं इसलिए हम उन्हें विचार का हिस्सा नहीं बनाते। आज आर्थिक विकास के साथ भ्रष्टाचार और दूसरे अपराधों ने भी अपना विकास कर लिया है। तो फिर इस विकास का हासिल क्या है? यही न कि एक समस्या दूर हुई तो उसकी जगह दूसरी आकर खड़ी हो गई। इसलिए हमें विकास की नई परिभाषा खोजनी होगी। विकास तभी माना जाए जब मनुष्यता को उसकी समस्याओं से मु्क्ति मिले। देशों, क्षेत्रों या व्यक्तिओं की आर्थिक समृद्धि के वृद्धि को आर्थिक विकास कहते हैं। नीति निर्माण की दृष्टि से आर्थिक विकास उन सभी प्रयत्नों को कहते हैं जिनका लक्ष्य किसी जन-समुदाय की आर्थिक स्थिति व जीवन-स्तर के सुधार के लिये अपनाये जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू घाटी में फोरलेन निर्माण का कार्य चल रहा है हिमाचल में फोरलेन बनने से लोगों को जहां सर्पीली सड़कों से राहत मिलेगी, फासला कम होने से समय और पैसे की भी बचत होगी। फोरलेन हिमाचल प्रदेश की लाइफलाइन को बदल देगी। इससे प्रदेश की तकदीर और तस्वीर दोनों का नया अवतार होगा। फोरलेन से हिमाचल में पर्यटन और व्यवसाय दोनों के अवसर बढ़ेंगे। या यूं कहें कि हिमाचल सुहाने सफर की ओर बढ़ रहा है। पर्यटन से जुड़ी कुल्लू घाटी को इस फोरलेन परियोजना से सबसे बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। निचले हिमाचल की जनता का जीवन स्तर भी पूरी तरह बदल जाएगा। इससे किसानों और छोटे व्यवसायियों की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार होगा। फोरलेन परियोजना के निर्माण से कृषि और बागबानी को संजीवनी मिल सकती है। कुल्लू घाटी का सेब फोरलेन परियोजना के निर्माण से आर्थिकी के मायने बदल देगा। इसके अलावा किसानों को भी प्रत्यक्ष रूप से फोरलेन परियोजना का लाभ मिलेगा। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया फोरलेन परियोजना के निर्माण में अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग कर रही है। इसमें साइंटिफिक तरीके से सुरंगों और पुलों का निर्माण होगा। भूकंप रोधी तकनीक से निर्माण को प्राथमिकता होगी। प्राकृतिक आपदाएं आने पर भू-स्ख्लन और नुकसान की कम संभावना रहेंगी। औद्योगिक विकास को रफ्तार मिलेगी वहीं यातायात जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी। ईंधन व समय की भी बचत होगी। फोरलेन से जुड़ने के बाद जिला के पर्यटन को चार चांद लग जाएंगे। इसके अलावा सर्पीली सड़कों से लोगों को काफी हद तक राहत मिलेगी और फासले भी कम होंगे। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। होटल, रेस्टारेंट तथा अन्य व्यवसाय भी बढ़ेगा। ऐसे में जाहिर सी बात है कि डीजल व पेट्रोल का खर्च भी कम होगा। बेहतर सड़क सुविधा होने की वजह से वाहनों की रिपेयरिंग आदि का खर्च भी कम होगा। जाहिर सी बात है कि किराया कम होगा, जिसका असर सकल घरेलू उत्पादों के रेट पर भी पड़ेगा। दूध, ब्रेड, फल व सब्जियों आदि के रेट में गिरावट होगी। धार्मिक पर्यटन पर भी इसका असर पड़ेगा। कृषि-बागबानी को भी फोरलेन बनने के बाद संजीवनी मिलेगी। कैरिज कम होने की वजह से बागबानों व किसानों को आर्थिक लाभ होगा। वाहनों के मरम्मत व अन्य रखरखाव के खर्चों में 20 से 30 प्रतिशत का फर्क पड़ेगा। आपात स्थिति में अस्पतालों से रैफर किए जाने वाले मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़ तक पहुंचाने में स्वारघाट के रास्ते लगने वाले घंटों के सफर से राहत मिल जाएगी और महज दो से अढ़ाई घंटे में चंडीगढ़ पहुंचा जा सकेगा। पर्यटकों का कुल्लू व मनाली के लिए आवागमन आसान व सस्ता होगा। जिन-जिन क्षेत्रों से यह फोरलेन गुजरेगा,वहां के लोगों के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार व स्वरोजगार के भी ज्यादा अवसर पैदा होंगे। पेट्रोल, सफर में समय तथा परिवहन लागत में कमी होगी। औद्योगिक कच्चे माल के परिवहन में आसानी, उत्पादों की सप्लाई में तेजी, सड़क दुर्घटनाओं में कमी, ग्रीन कॉरिडोर का विकास होगा ।